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त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
शिव चालीसा के माध्यम से आप भी अपने दुखों को दूर करके शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।।
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
अस्तुति चालीसा शिविही, सम्पूर्ण कीन कल्याण ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
मातु get more info पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥